
रायपुर,2 फरवरी 2022। रायगढ़ (छत्तीसगढ़) में मजदूरी का काम करने वाले ग्राम औरदा थाना पुसौर जिला रायगढ़ निवासी सजन बिझमनिया बताते हैं कि 13 दिसम्बर 2020 को उनकी छोटी बेटी पूनम ने फ़ोन पर बताया कि बड़ी बेटी पायल जल गई है। आननफानन वे तमनार रायगढ़ से
घर पहुंचे तो उनकी बड़ी बेटी 16 साल की नाबालिग पायल बिझमनिया आईसीयू में भर्ती थी उसका पूरा जला हुआ शरीर था और हाथ भी जल गए थे। लेकिन वो बात कर रही थी। जब बेटी से बात हुई तो उसने बताया कि गांव के ही आशीष मिर्रे ने उसे जलाया है।16 दिसम्बर 2020 को इलाज के दौरान पायल की मौत हो गई। पायल को आशीष मिर्रे ने किसी के जरिये 12 दिसम्बर 2020 की रात गांव के तालाब के पास बुलाया और पायल को जलाकर जान से मारने की कोशिश की और पायल को रात भर अपने घर पर रखा फिर सुबह उन्होंने अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस ने एक सुसाइड नोट भी बरामद किया जिसमें हस्ताक्षर में पायल बिझमनिया की जगह पायल बसौर लिखा हुआ था? इस पर भी पायल के पिता सजन ने सवाल उठाए थे कि जब उनका पूरा परिवार अंतिम समय में 24 घंटे पायल के साथ थे तो उसका अंतिम बयान कब और किसने लिया?
इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी राजकुमार साव और कार्तिक थे जिसमें राजकुमार साव ने 16 फरवरी 2021 को बाल कल्याण समिति रायगढ़ में गवाही हेतु आवेदन पत्र भी दिया था जिसमें राजकुमार साव ने स्पष्ट कथन है कि मैंने पायल बिझमनिया की हत्या होते देखा है ,मैं चश्मदीद गवाह हूँ।और मेरी गवाही ली जाए। बावजूद इसके पुसौर थाना पुलिस ने मामले में को आत्महत्या करार देते हुए केस बंद कर दिया।
सजन बताते हैं कि उनकी बेटी की हत्या के दूसरे चश्मदीद गवाह कार्तिक की घटना के एक महीने के भीतर ही संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो जाती है जिसे भी पुलिस फांसी लगाकर आत्महत्या बताती है?
मामले में आरोपी आशीष मिर्रे को 4 फरवरी 2021 को पुलिस गिरफ्तार करती है जिस पर सिर्फ धारा 306 लगाई जाती है। और 10 फरवरी 2021 को ही आरोपी जमानत पर छूट जाता है?
मामले में पायल के पिता सजन बिझमनिया ने 24 फरवरी 2020 को डीजीपी छत्तीसगढ़ को अपनी बेटी के हत्यारों को सज़ा दिलाने पुलिस मुख्यालय रायपुर में पत्र लिखा किन्तु कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की गई?
सजन ने 5 नवंबर 2021 को थाना प्रभारी पुसौर को पत्र लिखा की किस तरह आशीष मिर्रे के पिता विनोद मिर्रे द्वारा उन्हें धमकी दी जा रही है और अपने बेटे को पैसे के बल पर छुड़ा लूंगा।
सजन बिझमनिया द्वारा 1 फरवरी 2022 को डीजीपी छत्तीसगढ़ को अपनी बेटी के हत्यारों को सज़ा दिलाने और न्याय हेतु फिर से आवेदन किया है।
क्या है IPC की धारा 306
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 के मुताबिक अगर कोई शख्स किसी को भी सुसाइड यानी आत्महत्या के लिए उकसाता है, उसे प्रेरित करता है और वह आत्महत्या कर लेता है, तो उकसाने या प्रेरित करने वाले को आरोपी माना जाएगा. दोष सिद्ध हो जाने पर उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगा, जिसे 10 वर्ष तक की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है। साथ ही दोषी पर आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है।
न्याय योजना और सेवाग्राम तो ठीक है पर इस एक लाचार पिता को न्याय क्यों नहीं?
अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए एक साल से ज्यादा समय से भटकता लाचार पिता को न्याय कब मिलेगा? बापू ने कहा था कि अंतिम व्यक्ति तक स्वराज मिलना चाहिए।आखिर बापू की विचारधारा को मूर्तरूप कब दिया जाएगा?
राज्य सरकार मामले को गंभीरता से लेकर एक लाचार गरीब पिता को न्याय दिलाये तभी सच्ची “न्याय नीति’ होगी।